आम मुसलमानों के हक

आम मुसलमानों के हक

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

तमाम मुसलमान आपस में भाई - भाई है । मुसलमानों को आपस में ऐसे रहना चाहिए जैसे भाई रहते है। इस्लाम का रिश्ता दुनिया के तमाम ही रिश्तो से ज्यादा मज़बूत रिश्ता है। इस रिश्ते की एहमियत बताते हुए प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक बार बड़ी अच्छी मिसाल दी, उन्होंने फरमाया : ‘मुसलमान एक दुसरे के लिए ऐसे है जैसे किसी ईमारत की ईट, जो एक दुसरे में गुथी हुई होती है और एक दुसरे को मज़बूत करती है और फिर आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने एक हाथ की उंगलिओ को दूसरे हाथ की उंगलिओ में जोड़ कर बताया। हम मुसलमानों को एक साथ मिल जुलकर मेल मिलाप के साथ रहना चाहिए और एक दुसरे का सहारा बनकर इत्तिहाद और इत्तिफाक की ज़िन्दगी गुज़ारनी चाहिए। मुसलमानों को एक दूसरे से कट कर और बेनियाज़ होकर अलग थलग नहीं रहना चाहिए। प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का इरशाद है , हर मुसलमान पर दुसरे मुसलमान के पाँच हक है : 1. सलाम का जवाब देना । 2. दूसरे को छींक आये तो यरहमुक्क्ला (तुम पर अल्लाह की रहमत हो) कहना । 3. उसकी दावत कुबूल करना। 4. बीमार हो तो मिजाज़ पूछने के लिए जाना । 5. मर जाए तो उसके जनाज़े में शरीक होना । हमें चाहिए की हमेशा मुसलमान भाई इज्जत करे , उसकी मदद करे , नेक कामो का मशवरा दे , बुरे कामो से बचाए। गरज़ जिस तरह हम अपनी जान, माल, इज्जत-आबरू और फायदे का ख्याल रखते है , उसी तरह दुसरे मुसलमान का भी ख्याल रखे।

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